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कविता

साहित्य में आरक्षण

पंकज चौधरी


अखबार के भी वही संपादक बनते हैं
गोष्ठियों की भी वही अध्‍यक्षता करते हैं
चैनलों पर भी वही बोलते हैं
प्रधानमंत्री के भी शिष्‍टमंडल में

विदेशी दौरे वही करते हैं
लाखों के भी पुरस्‍कार वही बटोरते हैं
वाचिक परंपरा के भी लिविंग लीजेंड वही कहलाते हैं
महान पत्रकार, महान संपादक, महान आलोचक
महान कवि, महान लेखक भी वही कहलाते हैं

और 'साहित्‍य में आरक्षण नहीं होता'
ये भी वही बोलते हैं।


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